Monday, May 17, 2010

Wednesday, December 30, 2009

आया आया साल नया

वही लंगोटी फटी पुरानी,पाया ना रुमाल नया
बार बार क्या दोहराए हम रोटी नहीं सवाल नया

बोतल नयी शराब पुरानी बस इतना सा अंतर है
पिटा ढिढोरा विज्ञापन मे ,ले लो आया माल नया

जूना,फटा,पुराना उतरन,रफू,आल्टर हम को याद
नया नाम जैसे ही सुनते ,वे लाते तत्काल नया

पूर दिया है इसी साल जो पुरखो ने बनवाया था
सरकारी खर्चे से अब फिर खोद रहे हैं ताल नया

देशी और विदेशी ठग घर घर जाकर धन बाँट रहे
और हडपने अपना सबकुछ बिछा रहे हैं जाल नया

पांच साल मे दुगना धन नेताजी का हो जाता है
मतदाता सूची मे बढता और और कंगाल नया

अल्लसुबह हल जोत रहे जुम्मन ने अलगू से पूछा
रात सुना क्या ? बहुत शोर था आया आया साल नया.....
अनिल गोयल
( अब तक जो लिखा वो कागजों पर दर्ज होता रहा गुज़रते साल की आखरी शाम ख्याल आया जो अनकही पर मनकही है....अंतरताने यानि इंटरनेट के ज़रिये आप तक पहुंचे....ख्यालों का पहला छोंक आपके लिए.........